मैं तुम्हें चूमना चाहती हूं
जैसे श्रद्धा से चूमता है कोई
ईश्वर की दहलीज
मैं तुम्हें चूमना चाहती हूं
जैसे मां अपने बच्चे को
स्तनपान करते समय
चूमती है उसका अंगूठा
और तुम्हारा मुझे चूमना
कुछ इस तरह से होगा
जैसे अंनत काल से पड़े
अज्ञानता की राशि को
छूती है ज्ञान की रोशनी
वाह;!! सारगर्भित सृजन..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..भावुकता एवं अलौकिक संदर्भ लिए..
जवाब देंहटाएंअद्भुत सृजन । हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट |हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंभाषिक सौंदर्य से लबरेज़। सुन्दर
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत ही सुंदर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत सुन्दर --- नितांत नवीन अभिव्यक्ति
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