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तुम्हारे इंतज़ार में

तुम्हारे इंतज़ार में

तुम्हारे इंतज़ार में लिखना चाहती हूँ
युद्ध के दस्तावेजों पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
जिससे मिट जायेगी युद्धों की तारीखें
पिघल जायेगा औजारों का लोहा
लहरायेगा हवा संघ शांति का परचम
इंगित होगा जिसपर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए

तुम्हारे इन्तजार में मैं लिखना चाहती हुं
रेगिस्तान की पीठ पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
जिससे पिघलेंगे विरह के बादल
तपती रेत से निकलेगी एक नदी
हो जायेगी तृप्त हर गगरी की देह
गोद दूंगी पानी के ह्रदय में मेरा प्रेम तुम्हारे लिए

तुम्हारे इन्तजार में मैं लिखना चाहती हुं
मिट्टी में धंसे पंगड़डियों पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
और वहां बैठ  मैं गुनगुनाना चाहती हूं
एक गीत वर्षा के आगमन का
निराश किसानों की पुतलियां अंकुरित कर 
धान की पातियो पर अंकित करुंगी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. तुम्हारे इन्तजार में मैं लिखना चाहती हुं
    मिट्टी में धंसे पंगड़डियों पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
    और वहां बैठ मैं गुनगुनाना चाहती हूं
    एक गीत वर्षा के आगमन का
    निराश किसानों की पुतलियां अंकुरित कर
    धान की पातियो पर अंकित करुंगी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए

    वाह!

    जवाब देंहटाएं

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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

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