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हत्यारे

हम मरते नहीं  मारे जाते हैं  सिद्धांत से खाली समय  और अवसरवादी भीड़ के हाथों तुम्हें क्या लगता है  मनुष्य आत्महत्या करता है  नहीं, ये शब्द केवल म्यान है  हत्या के ऊपर चढ़ाई हुई ।

औरत की जात बिकाऊ नहीं है

किसी औरत का प्रेम  दिहाड़ी समझकर  मत भोगना सामने से गुजरती हर औरत को देख तुम्हारी ये जो जुबान मोल-भाव की भाषा पर उतर आती है ना वेश्यावृत्ति एक धंधा है  औरत की जात बिकाऊ नहीं होती है  । 

औरत

वो औरत थी उसकी वो जब चाहता अपनी मर्ज़ी से उसे अलगनी पर से उतारता इस्तेमाल करता और फिर वही ऱख देता  फिर आता फिर जाता जितनी बार उसे उतारा जाता उसके शरिर मे एक नस टूट जाती चमड़ी से कुछ लहू नजर आता जितनी बार उसे उतारा जाता उसके नाखुनों से भूमि कुरेदी जाती हर कुरदन जन्म देती एक सवाल  उसके आँखो का खा़रापानी जम जाता उसके घाव पे उसके लड़ख़डा़ते पैर रक्तरंजित मन उसकी लाचारी उसकी बेबसी उन्ह तमाम पुरूषो के लिये एक प्रश्न छोड़ जाती है औरत केवल देह मात्र है  ?